लेखक को किताबें पढ़ने और सहेजने का शोक कैसे लगा?

लेखक को उनके पिताजी द्वारा पत्रिकाओं को देने पर उनको पढ़ने का शौक लगा। उनके घर में ‘सत्यार्थ प्रकाश’ और दयानंद सरस्वती की जीवनी पर किताबें भी आती थीं। इन किताबों में उन्हें भारतीय महापुरुष दयानंद सरस्वती के जीवन चरित्र और उनके दर्शन को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। अन्य पत्रिकाएं ‘बाल सखा’ और ‘चमचम’ भी उन्हें अपने पिताजी के माध्यम से ही पढने को मिली। उनके पिताजी ने इन पत्रिकाओं को सहेजकर रखने के लिए लेखक के लिए अपनी आलमारी का एक कोना खाली कर दिया। इस प्रकार उन्हें किताबों को सहेजकर रखने का शौक भी लग गया।


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